एकमा। अलख नारायण सिंह उच्च विद्यालय, एकमा में आज सिक्कों की एक प्रदर्शनी लगाई गई. विद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्ष श्री राजेश कुमार सिंह के कुछ दुर्लभ व चुनिंदा सिक्कों के क्लेक्शन पर आधारित इस प्रदर्शनी का उदघाटन प्रधानाध्यापक श्री कृष्ण भगवान यादव ने की. उन्होंने अपने उदघाटन भाषण मे कहा की इस तरह के आयोजन से बच्चों का शैक्षणिक व मानसिक विकास होता है. अपने सम्बोधन मे उन्होंने पुस्तकालय अध्यक्ष के मेहनत व प्रयासों की सराहना करते हुए कहा की इस अनूठे व नवीन पहल से एक सकारात्मक माहौल पैदा हुआ है.
विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए पुस्तकालय अध्यक्ष श्री राजेश कुमार सिंह ने कहा की सिक्के हमारे इतिहास की धरोहर है जो हमे अपनी विरासत व संस्कृति से रूबरू कराते हैं. भारत मे मौर्या काल के आहत सिक्कों से लेकर आज तक सिक्कों का एक लम्बा व शानदार इतिहास रहा है जो अध्ययन का एक विषय है. आजादी के बाद भारत सरकार ने भी स्मारक व दुर्लभ सिक्के समय समय पर जारी किये है. उन्ही सिक्कों मे से कुछ चुनिंदा सिक्कों की प्रदर्शनी आज छात्रों के लिए लगाई गई ताकि उन्हें इतिहास व विरासत से परिचित कराया जा सके.
कला व संस्कृति विभाग, बिहार सरकार से न्यूमिस्मेटीटिक्स का कोर्स करने वाले राजेश जी ने बताया की इस प्रदर्शनी में गाँधी जी के द. अफ्रीका से भारत वापसी, भारत के संसद के 60वर्ष, डॉ अम्बेडकर की 125वी जयंती, रिजर्व बैंक की प्लैटिनम जयंती, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, तंजावुर मंदिर के 1000वर्ष, दिल्ली राष्ट्रमण्डल खेल 2010, राजेंद्र प्रसाद की 125वी जयंती, कूका आंदोलन के 150वर्ष, माहत्मा बसेश्वर, लुई ब्रेल, संत तरुरुवलूरु, मदर टेरेसा, पं नेहरू, मौलाना आज़ाद आदि की दुर्लभ सिक्के बच्चों को देखने को मिलेगी.
वरीय शिक्षक श्री सूर्येंदु मिश्रा ने इस पहल को सराहनीय बताया व कहा की यह बच्चों के लिए काफ़ी लाभकारी है. सिक्के न सिर्फ हमरा ज्ञानवर्धन करते है वरन यह हमारी इतिहास की एक शानदार धरोहर है.विद्यालय मे छात्रों के लिए यह एक नया अनुभव था, उन्होंने कहा की इस तरह का आयोजन पुस्तकालय अध्यक्ष की पहल पर पहली बार किया गया है जो शानदार है. बच्चों ने इस प्रदर्शनी को उत्सुकता व कौतुहल से देखा एवं समझने का प्रयास किया. साथ ही एक स्वर मे कहा की इस तरह का आयोजन लगातार होना चाहिए.
इस मौके पर संतोष कुमार, दिलीप चौधरी, संदीप दुबे, मुकेश कुमार, अली रजा व अन्य शिक्षक व कर्मी भी उपस्थित थे.Input):चन्द्रप्रकाश राज/वीरेन्द्र यादव